सब कुछ पहले सा है,पर,
कुछ तो बदल गया है,
टूट गई है नींद,शायद,
सपना बिखर गया है,
कुछ तो बदल गया है,
वह यादें हैं,अब यादों
में,
कैसे उनके साथ चलूँ,और,
कैसे उनको अब देखूँ,
जिस दर्पन में,देखा था,
वह दर्पन चटक गया है,
कुछ तो बदल गया है,
जिस साये की छाँव तले,
इन सपनों को देखा था,
तूफानों में भी,किश्ती
को,
हँसते हुये सहेजा था,
दुखते मन तू,मान भी ले,
वह साया बिछुड़ गया है,
कुछ तो बदल गया है,
रोऊँ ना,बस नमन करूँ,
सोचा ये बारम्बार,
यादों तो,आँसू बन
निकलीं
आँखों से हरबार,
अब भी मन,बच्चा बन,
उनको,ढूँढा करता है,
कुछ तो बदल गया"नहीं"
अब सबकुछ बदल गया है" |