माà¤, by nishantpoetry07
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वो पायल की छन्न छन्न
वो चूड़ियों का खनकना !
तेरा वो हल्के से गीत
गुनगुनाना
माँ फिर वही गीत सुना दे
ना..
बिन तेरी ममता मुरझा
जाएं ये पौधे.., ये आंगन
की तुलसी
वो तेरी डांट फटकार
जीने का सलीका दे जाती...
कैसी ये मिट्टी ?? महानता
को इसकी कभी समझ न सका !
खुशबू तो बार बार है आती
कैसी है ये मिट्टी
जिस्से तू बनी कभी जान न
सका..
उन्न धुन्दले से
ख्वाबों में तेरी वो
पुकार
फिर न उठने की हमारी
ज़िद्द और नखरे सब्
सब भुलाए तेरा दुलार
झट्ट से दिन का अच्छा
होजाना ऐसा तेरा
आशिर्वाद !
बदनसीब रातों की नींद
के बाद फिर वही बेचैनी
इनमें वो सुकून कहाँ
माँ..
जो तू सिर पर हाथ रख कर
है सहलाती
साथ मे सुनते तेरे बचपन
की कहानियाँ
फिर तेरी गोद में ही
प्यारी नींद आजाती !
काश कुछ वही नादानियाँ
आजके बचपन में भी होती..
दुआ जो कभी तू करे तो
बच्चे की ही खुशी
मांगती
क्यूँ है ये...?
कौन है वो..?
पूजती हो तुम रोज जिसे
हहह.. शक्क है मुझे दिखते
होंगे वो बिल्कुल तेरे
ही जैसे !!
बच्चे की ही खुशी में
तेरा खुश होजाना
कभी दूर जो हुए तो तेरा
हिम्मत देना
फिर मुड़कर तेरी आँखों
मे ही आंसू आजाना
कैसी ये मिट्टी महानता
को इसकी कभी समझ न सका..
वो पायल की छन्न छन्न
वो चूड़ियों का खनकना
तेरा वो हल्के से गीत
गुनगुनाना
माँ फिर वही गीत सुना दे
ना...~💐
।। निशांत लाक्रा ।। |
Posted: 2018-03-08 07:21:00 UTC |
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